भारतीय दर्शन | Bhartiya Darshan
- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति पाठ्यपुस्तक / Textbook भारत / India शिक्षा / Education
- लेखक: उमेश मिश्र - Umesh Mishra
- पृष्ठ : 578
- साइज: 14 MB
- वर्ष: 1964
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दो शब्द :
भारतीय दर्शन एक गूढ़ और महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें भारत की मानसिक निधि समाहित है। यह ज्ञानियों द्वारा अनादिकाल से खोजा गया है और इसके मूल तत्वों ने भारत का गौरव बढ़ाया है। लेखक उमेश मिश्र ने इस ग्रंथ के माध्यम से भारतीय दर्शन को शुद्ध भारतीय दृष्टिकोण से और वैज्ञानिक दृष्टि से समझाने का प्रयास किया है। भारतीय दर्शन का अध्ययन करते समय यह आवश्यक है कि इसे व्याप्ति, समष्टि, और समन्वय के दृष्टिकोण से समझा जाए। सभी दर्शन एक ही उद्देश्य—दुख की निवृत्ति और परम आनंद की प्राप्ति—के लिए प्रवृत्त होते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सभी दर्शन एक ही मार्ग पर चलने वाले पथिक हैं। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि भारतीय दर्शन की संख्या सीमित नहीं है। विभिन्न दृष्टिकोणों के कारण विभिन्न दार्शनिक विचार उत्पन्न होते हैं, और यह स्वाभाविक है कि भिन्नता होगी, लेकिन इन दार्शनिकों के बीच कोई शत्रुता नहीं है। भारतीय दर्शन के अध्ययन में तुलनात्मक दृष्टिकोण का महत्व है, परंतु इसे समझने के लिए एक ही दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। लेखक ने इस ग्रंथ में दृष्टिकोण के भेदों और विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का समन्वय प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इस ग्रंथ का उद्देश्य पाठकों को आत्मदर्शन की खोज में सहायता करना है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि दार्शनिक विचारों को समझने के लिए समय और साधनों की आवश्यकता होती है। अंत में, लेखक ने विद्वानों से निवेदन किया है कि वे उनके विचारों पर निष्पक्षता से विचार करें और यदि कोई त्रुटि हो तो वह उन्हें सूचित करें। इस प्रकार, भारतीय दर्शन का अध्ययन न केवल ज्ञान की खोज है, बल्कि आत्मा की गहरी समझ और अनुभव का भी माध्यम है।
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