गाँवो में औषधरत्न | Ganvo Me Aushadhratna
- श्रेणी: Aushadhi | औषधि Ayurveda | आयुर्वेद
- लेखक: कृष्णनन्द - Krishnanand
- पृष्ठ : 328
- साइज: 15 MB
- वर्ष: 1949
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में गांवों में औषधियों के महत्व और उनकी उपयोगिता पर चर्चा की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में आयुर्वेदिक औषधियों का प्रचलन और उनकी प्रभावशीलता को रेखांकित किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों की तुलना में आयुर्वेदिक उपचार अधिक सरल, सस्ते और प्रभावी होते हैं। लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि गांवों में औषधियों की प्रचुरता है और इन्हें स्थानीय रूप से उपलब्ध जड़ी-बूटियों से तैयार किया जा सकता है। गांवों में औषधियों का ज्ञान और उनका प्रयोग आम लोगों के लिए स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इस संदर्भ में, गांवों में आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रचार की आवश्यकता पर बल दिया गया है। पाठ में यह भी कहा गया है कि औषधियों के रासायनिक परीक्षणों के अभाव में भी उनकी उपयोगिता को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि कई जड़ी-बूटियाँ और औषधियाँ बिना किसी वैज्ञानिक परीक्षण के ही प्राचीन काल से प्रयोग में लाई जा रही हैं। कुल मिलाकर, यह पाठ ग्रामीण जनता के लिए आयुर्वेदिक औषधियों की उपयोगिता, उनकी सरलता और सस्ती चिकित्सा पद्धतियों के महत्व पर केंद्रित है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा का ज्ञान और उपयोग ग्रामीण स्वास्थ्य में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.