दो शब्द :

"अपराध और दंड" उपन्यास के सारांश में फ़्योदोर दोस्तोएवस्की की रचनात्मकता और उनकी गहन मानवता के प्रति दृष्टिकोण का वर्णन किया गया है। यह उपन्यास मनुष्य के अस्तित्व, उसके अंतर्जातीय संघर्ष और नैतिकता के सवालों को उठाता है। दोस्तोएवस्की का जन्म 1821 में एक दरिद्र डॉक्टर के घर हुआ। उन्होंने अपने लेखन की शुरुआत 1844 में की। उपन्यास में अपराध और उसके परिणाम, दंड की अवधारणा, और मनुष्य की आत्मा की गहराइयों में जाकर समझने की कोशिश की गई है। दोस्तोएवस्की को राजनीतिक कारणों से गिरफ्तार किया गया और उन्हें मृत्यु-दंड का सामना करना पड़ा, लेकिन अंतिम क्षण में उनकी सजा को केवल देश-निकाले में परिवर्तित कर दिया गया। इस अनुभव ने उनके लेखन को गहराई दी और उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं को अपने साहित्य में उकेरा। उपन्यास में मानव स्वभाव के जटिल पहलुओं को दर्शाया गया है, जिसमें नैतिकता, पाप, और प्रायश्चित्त का विशेष महत्व है। दोस्तोएवस्की का यह काम न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवता के लिए एक गहरा संदेश भी प्रदान करता है। उन्होंने अपने पात्रों के माध्यम से जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों को प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक को दया और करुणा का अनुभव होता है। यह उपन्यास न केवल रूस में बल्कि विश्व भर में पढ़ा और सराहा गया है, और इसकी गहराई और जटिलता ने इसे महान साहित्य की श्रेणी में रखा है।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *