वनौषधि-चन्द्रोदय | Vanoshadhi-chandrodya
- श्रेणी: Aushadhi | औषधि Ayurveda | आयुर्वेद Homoeopathic and Medical Sciences | होमियोपैथिक और चिकित्सा
- लेखक: चन्द्रराज भंडारी विशारद - Chandraraj Bhandari Visharad
- पृष्ठ : 364
- साइज: 14 MB
- वर्ष: 1938
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दो शब्द :
इस पाठ में भारतीय चिकित्सा और औषधि विज्ञान के इतिहास, विशेष रूप से आयुर्वेद और वनस्पति विज्ञान के महत्व पर चर्चा की गई है। यह बताया गया है कि स्वस्थ शरीर मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए चिकित्सा विज्ञान का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में हजारों वर्ष पहले चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण खोजें हुई थीं, जो आज भी मानवता की सेवा कर रही हैं। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्तमान समय में विभिन्न मतभेद और विवाद चिकित्सा विज्ञान में सामान्य हैं, और इनमें कोई अनहोनी नहीं है। भारतीय चिकित्सा पद्धतियों, जैसे आयुर्वेद, की तुलना में विदेशी औषधियों का उपयोग बढ़ता जा रहा है, जबकि भारतीय औषधियों की भी अपनी उपयोगिता है। कई भारतीय औषधियाँ विदेशी औषधियों के मुकाबले अधिक प्रभावी साबित हो रही हैं। इस पाठ में भारतीय वनस्पतियों के वैज्ञानिक अध्ययन का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि कई विदेशी वैज्ञानिकों ने भारतीय वनस्पतियों की उपयोगिता पर अध्ययन किया है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि भारतीय साहित्य में इस विषय पर पर्याप्त सामग्री का अभाव है, जिससे भारतीय औषधियों की पहचान और मान्यता में बाधा आती है। अंत में, पाठ में एक नए आयुर्वेदीय विश्वकोष के निर्माण का उल्लेख है, जो हिन्दी भाषा में चिकित्सा और औषधियों की जानकारी प्रदान करेगा। यह प्रयास भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, बशर्ते कि इसे साधारण और सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया जाए ताकि यह आम जनता और चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए उपयोगी हो सके।
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