चन्द्रगुप्त(१६१८)
- श्रेणी: इतिहास / History साहित्य / Literature
- लेखक: सूर्यनारायण दीक्षित - Suryanarayan Dixit
- पृष्ठ : 176
- साइज: 5 MB
- वर्ष: 1618
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दो शब्द :
इस पाठ में चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन और उनके द्वारा स्थापित साम्राज्य का वर्णन किया गया है। चंद्रगुप्त का काल मौर्य साम्राज्य के गठन का महत्वपूर्ण समय था, जब उन्होंने नंद वंश के राजा को पराजित कर मगध का सिंहासन प्राप्त किया। चंद्रगुप्त की कहानी में उनके कठिनाइयों का सामना करना, विदेशों में यात्रा करना और चाणक्य के साथ मिलकर नंद वंश को पराजित करना शामिल है। पाठ में यह भी बताया गया है कि चंद्रगुप्त ने यूनानी आक्रांता सेल्यूकस के साथ युद्ध किया और अंततः उसे पराजित करके उसकी बेटी से विवाह किया, जिससे भारत और यूनान के बीच एक राजनीतिक संधि हुई। इसके अतिरिक्त, इस काल की ऐतिहासिक घटनाओं को समझने के लिए मेगास्थनीज जैसे यूनानी विद्वान का उल्लेख किया गया है, जिन्होंने इस समय की संरचना और प्रशासन का विस्तृत वर्णन किया। चंद्रगुप्त के जीवन पर आधारित नाटक "मुद्राराक्षस" का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें चाणक्य की कूटनीति और चंद्रगुप्त का चरित्र चित्रित किया गया है। इसके माध्यम से पाठक को यह समझने को मिलता है कि कैसे चाणक्य ने चंद्रगुप्त को एक कठपुतली की तरह उपयोग किया, जबकि वास्तव में चंद्रगुप्त एक स्वतंत्र और शक्तिशाली व्यक्ति थे। इन सभी घटनाओं के माध्यम से पाठ में यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि चंद्रगुप्त का काल भारतीय इतिहास का एक सुनहरा अध्याय था, जिसमें उन्होंने न केवल अपने साम्राज्य को स्थापित किया, बल्कि देश की रक्षा भी की। अंत में, यह नाटक और उसके अनुवाद के माध्यम से पाठक को चंद्रगुप्त के महान कार्यों और उनके समय की ऐतिहासिक घटनाओं की जानकारी मिलती है।
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