कल्याण उपनिष्द अंक | Kalyan Upanishad Ank
- श्रेणी: Hindu Scriptures | हिंदू धर्मग्रंथ ज्योतिष / Astrology
- लेखक: चिम्मनलाल गोस्वामी - Chimmanlal Goswami हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar
- पृष्ठ : 834
- साइज: 55 MB
- वर्ष: 1949
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों का समावेश किया गया है। पाठ की शुरुआत देवी-देवताओं की स्तुति से होती है, जिसमें दुर्गा, काली, उमा, राधा, सीता, रुक्मिणी, गणेश आदि की जय-जयकार की गई है। इसके बाद, पाठ में ग्राहकों से निवेदन किया गया है कि वे विज्ञापन भेजने का कष्ट न उठाएं और कल्याण पत्रिका में समालोचनाओं के लिए पुस्तकें न भेजें। पाठ में उपनिषदों और भारतीय दार्शनिक विचारों का उल्लेख किया गया है। बताया गया है कि चित्त ही संसार है और चित्त की शांति से ही मनुष्य को आनंद की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, भारतीय और पाश्चात्य दर्शन की तुलना की गई है, जिसमें भारतीय दर्शन में कर्तव्य और कर्म की विवेचना पर कम ध्यान दिया गया है, जबकि पाश्चात्य विचारधारा में यह महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पाठ में यह भी उल्लेख है कि भारतीय दर्शन में अज्ञान को सभी समस्याओं का मूल माना गया है और ज्ञान के माध्यम से ही मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। इस प्रकार, पाठ में धार्मिक भक्ति, कर्तव्य, और ज्ञान के महत्व पर बल दिया गया है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.