धर्म दर्शन की रूप रेखा | Dharm Darshan Ki Roop Rekha
- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy धार्मिक / Religious
- लेखक: हरेन्द्र प्रसाद सिन्हा - Harendra Prasad Sinha
- पृष्ठ : 525
- साइज: 11 MB
- वर्ष: 1962
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दो शब्द :
पुस्तक "धर्म-दर्शन की रूप-रेखा" का उद्देश्य धर्म और दर्शन की समस्याओं का तुलनात्मक और आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करना है। इस पुस्तक का लेखन विशेष रूप से बी.ए. कक्षा के विद्यार्थियों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया गया है, क्योंकि इस विषय पर हिंदी में कोई प्रामाणिक पुस्तक उपलब्ध नहीं थी। लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए ज्ञान का एक सशक्त स्रोत बनाने का प्रयास किया है। पुस्तक दो खंडों में विभाजित है और इसमें विभिन्न अध्यायों के माध्यम से धर्म का स्वरूप, उसकी उत्पत्ति, उसकी उपयोगिता, और उससे संबंधित विभिन्न सिद्धांतों का गहन अध्ययन किया गया है। इसमें धर्म और विज्ञान, धर्म और कला, और धर्म और नैतिकता के बीच के संबंधों पर भी चर्चा की गई है। लेखक ने पुस्तक में कई महत्वपूर्ण विचारकों और उनके सिद्धांतों को समाहित किया है, जिससे पाठक को धर्म और दर्शन के विभिन्न दृष्टिकोणों की समझ प्राप्त हो सके। इसके अलावा, पुस्तक में सुधार और संशोधन किए गए हैं, और इसमें कई नए अध्याय भी जोड़े गए हैं, जो इसे पिछले संस्करणों की तुलना में अधिक उपयोगी बनाते हैं। इस प्रकार, "धर्म-दर्शन की रूप-रेखा" विद्या के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान करती है और विद्यार्थियों के लिए एक आवश्यक संदर्भ पुस्तक साबित होती है।
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