शिक्षा सस्त्र | Shiksha Shastra
- श्रेणी: शिक्षा / Education साहित्य / Literature
- लेखक: एम. डी. ज़फ़र - M. D. Zafar
- पृष्ठ : 216
- साइज: 22 MB
- वर्ष: 1948
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश यह है कि लेखक एस. डी. ज़फ़र ने शिक्षा के महत्व और इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि शिक्षा का मूल्य केवल ज्ञान अर्जित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज की प्रगति और व्यक्ति के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेखक ने शिक्षा की परिभाषा दी है और विभिन्न विद्वानों के विचारों को प्रस्तुत किया है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि शिक्षा का उद्देश्य समय, स्थान और संस्कृति के अनुसार बदलता रहा है। प्राचीन भारत में शिक्षा धार्मिक उद्देश्यों के लिए थी, जबकि अन्य संस्कृतियों में यह विभिन्न लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दी जाती थी, जैसे कि चरित्र निर्माण, बहादुरी की कला में निपुणता और युद्ध कौशल। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति को उसके प्राकृतिक, सामाजिक और आत्मिक वातावरण के साथ एक सही संबंध स्थापित करने का अवसर मिलता है। यह वातावरण का प्रभाव है जो बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण होता है, और उचित शिक्षा द्वारा इसे सही दिशा में मोड़ा जा सकता है। अंत में, लेखक ने शिक्षा के विभिन्न पहलुओं जैसे स्वास्थ्य, कक्षा प्रबंधन, अनुशासन, और भारत में शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा की है, ताकि यह पुस्तक शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हो सके।
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