दो शब्द :

आचार्य रजनीश, जिन्हें ओशो के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख आध्यात्मिक गुरु हैं। उनका जन्म 11 दिसंबर 1931 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने सागर विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की और अपने करियर की शुरुआत कॉलेजों में शिक्षक के रूप में की। वे अपने विचारों और प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं, जिसमें वे जीवन, धर्म, और आध्यात्मिकता के गहनतम पहलुओं पर चर्चा करते हैं। आचार्य रजनीश ने 1966 में शिक्षण का कार्य छोड़कर ध्यान और साधना पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने जीवन-जागृति आंदोलन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता और आध्यात्मिकता का प्रचार करना था। उनके प्रवचनों ने लाखों लोगों को प्रभावित किया और उनके विचारों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार हुआ। उन्होंने अनेक पुस्तकें और पत्रिकाएँ प्रकाशित की हैं, जो उनके विचारों और शिक्षाओं का संकलन हैं। इनकी शिक्षाएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूती हैं, जैसे प्रेम, ज्ञान, और आत्मज्ञान। वे यह मानते हैं कि सच्चा ज्ञान और ईश्वर का अनुभव भीतर से ही प्राप्त होता है, न कि बाहरी साधनों से। उनका दृष्टिकोण यह है कि व्यक्ति को अपने भीतर की खोज करनी चाहिए और बाहरी दुनिया से भागने के बजाय आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ना चाहिए। आचार्य रजनीश का व्यक्तित्व गहराई और अद्वितीयता से भरा हुआ है। वे जीवन को एक उत्सव और नृत्य के रूप में देखने का संदेश देते हैं। उनका मानना है कि प्रेम, करुणा और आनंद ही जीवन के सच्चे तत्व हैं, और इनकी खोज में ही वास्तविक मुक्ति का मार्ग है। उनके विचार और शिक्षाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और आध्यात्मिक जागरूकता के लिए एक मार्गदर्शक का कार्य करती हैं।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *