ब्रह्मा वैवर्त पुराण | Brahma Vaivarta Purana

By: श्रीराम शर्मा आचार्य - Shri Ram Sharma Acharya


दो शब्द :

इस पाठ में ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना, नर और मादा के संबंध, और राधा-कृष्ण के प्रेम की आध्यात्मिकता का वर्णन किया गया है। यह बताया गया है कि नर-मादा का विभाजन धीरे-धीरे हुआ और यह भी कि राधा का नाम उच्चारण करने से मुक्ति प्राप्त होती है। राधा और कृष्ण के संबंधों का वर्णन करते हुए यह दर्शाया गया है कि उनका प्रेम केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और दिव्य है। पाठ में गणेश जी के जन्म की कथा भी शामिल है, जिसमें शिव जी द्वारा कामदेव को जलाने की घटना का उल्लेख है। गणेश जी की माता पार्वती द्वारा उन्हें जन्म देने की प्रक्रिया और उनके हाथी के मस्तक के जोड़ने की कथा भी प्रस्तुत की गई है। इस प्रकार की कथाएं मनोरंजन का साधन होते हुए भी नैतिक शिक्षा देने का कार्य करती हैं। इसके अतिरिक्त, राधा-कृष्ण के रास के प्रसंग में प्रेम और भक्ति का गहन वर्णन है। पाठक को यह समझाने का प्रयास किया गया है कि राधा और कृष्ण का संबंध केवल भौतिक नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक है। पाठ में यह भी दर्शाया गया है कि कैसे राधा-कृष्ण का प्रेम भक्तों के लिए एक सर्वश्रेष्ठ आदर्श प्रस्तुत करता है। कुल मिलाकर, पाठ में धार्मिक और आध्यात्मिक विचारों के माध्यम से प्रेम, भक्ति और सृष्टि के मूल तत्वों का विवेचन किया गया है।


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