वृहत पूजा-संग्रह | Vrahat Pooja-sangrah
- श्रेणी: धार्मिक / Religious हिंदू - Hinduism
- लेखक: भंवरलाल नाहटा - Bhanwar Lal Nahta
- पृष्ठ : 476
- साइज: 11 MB
- वर्ष: 1980
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: यह पाठ "पुण्य श्रीजी स्वर्ण श्रीजी स्मारक ग्रन्यमाला" की एक उपदेशिका है, जिसमें जैन पूजा विधियों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है। इसमें विभिन्न पूजा विधियों का विवरण दिया गया है, जैसे कि स्नान पूजा, अष्टप्रकारी पूजा, पंचपरमेष्ठी पूजा, तथा विभिन्न विशेष पूजा विधियाँ। जैन परंपराओं के अनुसार, पूजा और श्रद्धा का विशेष महत्व है और यह शास्त्रों में दर्शाया गया है। प्रस्तावना में यह बताया गया है कि जैनागमों में पूजा का महत्व और जिन प्रतिमा की पूजा की विधियां प्राचीन समय से चली आ रही हैं। यह भी उल्लेख किया गया है कि साधुओं और श्रावकों के लिए पूजा की विधियों का पालन करना अनिवार्य है। पाठ में साध्वी विचक्षणश्रीजी महाराज का जीवन परिचय दिया गया है, जिसमें उनके जन्म, दीक्षा, और समाज में उनके योगदान का वर्णन है। विभिन्न विद्वानों द्वारा पूजा साहित्य के निर्माण का उल्लेख करते हुए यह बताया गया है कि कैसे जैन धर्म में भक्ति और ज्ञान को एकत्रित करने के लिए संगीत और कविता का उपयोग किया गया। अंत में, साध्वी विचक्षणश्रीजी की साधना, उनकी सहनशीलता, और उनके जीवन की घटनाओं के माध्यम से उनके अद्वितीय व्यक्तित्व को प्रस्तुत किया गया है। पाठ का मुख्य उद्देश्य जैन पूजा विधियों का संग्रह और साध्वी की सेवा तथा उनके योगदान का प्रचार करना है।
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