भारतीय व्योहार कोष | Bharatiya Vyavahaar kosh

By: विश्वनाथ दिनकर नरबने - Vishvanath Dinakar Narabane
भारतीय व्योहार कोष | Bharatiya Vyavahaar kosh by


दो शब्द :

यह पाठ भारत की विविधता, सांस्कृतिक धरोहर और साहित्यिक समृद्धि का वर्णन करता है। लेखक ने भारत के विभिन्न हिस्सों का यात्रा वर्णन करते हुए वहां की भौगोलिक विशेषताओं, ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक विविधताओं का उल्लेख किया है। उन्होंने हिमाचल से लेकर कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, और दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों का जिक्र किया है, जहां की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया गया है। लेख में भारत के महान संतों, वीरों और कवियों का भी उल्लेख है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान के लिए संघर्ष किया। साहित्य का महत्व बताते हुए लेखक ने इसे समाज के विकास और पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना है। उन्होंने विभिन्न भाषाओं और उनकी साहित्यिक धरोहर की भी चर्चा की, जैसे हिंदी, उर्दू, कश्मीरी, और अन्य भाषाओं के महान लेखकों और कवियों का नाम लिया। लेखक ने यह भी बताया कि साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह शिक्षण का भी माध्यम है जो समाज को सुशिक्षित और सुसंस्कृत बनाता है। उन्होंने भारतीय साहित्य की विविधता और इसके महत्व को रेखांकित करते हुए पाठकों से आग्रह किया कि वे विभिन्न भाषाओं और उनके साहित्य को समझें और उनका अनुभव करें। इस प्रकार, यह पाठ भारत की एकता में विविधता की संकल्पना को प्रस्तुत करता है, जहां हर क्षेत्र की अपनी विशेषताएं हैं, लेकिन सभी मिलकर एक समृद्ध और विविधतापूर्ण भारतीय संस्कृति का निर्माण करते हैं।


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