विनय पिताक | Vinaya Pitaka
- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy साहित्य / Literature
- लेखक: राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
- पृष्ठ : 615
- साइज: 60 MB
- वर्ष: 1934
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दो शब्द :
इस पाठ में बौद्ध धर्म के विभिन्न निकायों और उनके विनय-पिटक (विनय के नियम) की तुलना की गई है। विशेष रूप से स्थविरवादी और सर्वास्तिवादी निकायों के विनय-पिटक का अध्ययन किया गया है, जिसमें दोनों के बीच समानताओं और भिन्नताओं को उजागर किया गया है। लेखक ने बताया है कि स्थविरवादी और सर्वास्तिवादी दोनों का विनय-पिटक विभिन्न भागों में विभाजित है, और दोनों के विनय में भिक्षुओं और भिक्षुणियों के नियमों का विस्तार से उल्लेख है। स्थविरवादी विनय-पिटक की अपेक्षा मूल सर्वास्तिवादियों का विनय-पिटक अधिक विस्तृत है। इसके अलावा, पाठ में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार बौद्ध धर्म के ग्रंथ और उनकी टीकाएँ समय के साथ विकसित हुईं और कैसे विभिन्न भाषाओं में अनुवादित की गईं। बौद्ध धर्म की शिक्षाओं और नियमों को संकलित करने के लिए विभिन्न परिषदों का आयोजन किया गया, जिससे त्रिपिटक को मान्यता मिली। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि बौद्ध धर्म के ग्रंथों में समय के साथ कई परिवर्तन हुए हैं, और कुछ ग्रंथों के पाठ में भिन्नता भी पाई जाती है। अंततः, लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि बौद्ध धर्म की प्राचीनता और उसके ग्रंथों की प्रामाणिकता को समझने के लिए गहन अध्ययन और तुलना आवश्यक है।
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