तिरुक्कुराल ऑफ़ तिरूवल्लुवर | Tirukkural Of Tiruvalluvar

By: डॉ. एस. शंकर राजू नायडू - Dr S. Shankar Raju Naidu तिरुवल्लुवर - Thiruvalluvar
तिरुक्कुराल ऑफ़ तिरूवल्लुवर  | Tirukkural Of Tiruvalluvar by


दो शब्द :

तिरुक्कुरल तमिल साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे संत तिरुवल्लुवर ने लिखा है। यह ग्रंथ लगभग 1वीं सदी ईस्वी के आसपास की रचना मानी जाती है और इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर नीतिगत शिक्षाएं और उपदेश दिए गए हैं। तिरुक्कुरल की शिक्षाएं समस्त मानवता के लिए प्रासंगिक हैं और वर्तमान समय में इनकी आवश्यकता और भी अधिक महसूस की जा रही है। इस कृति का महत्व न केवल भारतीय साहित्य में है, बल्कि इसे विश्वभर में सराहा गया है और विभिन्न भाषाओं में अनूदित किया गया है। हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शंकर राजू नायडू ने इस ग्रंथ का तमिल से हिंदी में अनुवाद किया है, जिसके लिए उनके योगदान की सराहना की गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्राचीन तमिल साहित्य के खजाने को पश्चिमी देशों में अधिक महत्व दिया गया है, जबकि भारत के अन्य हिस्सों में इसे कम मान्यता मिली है। उम्मीद की जाती है कि यह हिंदी अनुवाद विद्वानों के बीच तिरुक्कुरल के प्रति रुचि बढ़ाएगा। तिरुक्कुरल में सम्राट के सुशासन, न्याय और प्रजा के कल्याण के सिद्धांतों पर जोर दिया गया है। यह ग्रंथ न केवल शासकों को, बल्कि समाज के सभी सदस्यों को नैतिकता और न्याय के महत्व का बोध कराता है। तिरुक्कुरल का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना कि पहले था, और यह मानवता के लिए मार्गदर्शक है।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *