नीति शास्त्र | neeti Shastra
- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy मनोवैज्ञानिक / Psychological
- लेखक: लालजीराम शुक्ल - Laljiram Shukl
- पृष्ठ : 1047
- साइज: 21 MB
- वर्ष: 1956
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दो शब्द :
इस पाठ में नीति-शास्त्र के दर्शन और उसके महत्व पर चर्चा की गई है। लेखक ने यह बताया है कि नीति-शास्त्र का अध्ययन मानवता के विचारों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मनुष्य की नैतिकता और कर्तव्य का विचार उसके चिंतन की योग्यता का स्वाभाविक परिणाम है। पुस्तक का उद्देश्य पश्चिमी नीति-शास्त्र के विचारों को भारतीय संदर्भ में प्रस्तुत करना है। लेखक ने पाश्चात्य विचारकों के सिद्धांतों को भारतीय जनता के सामने इस तरह रखा है कि वे समझने में सरल हों और उनके माध्यम से नैतिकता और कर्तव्य पर विचार करने की प्रेरणा मिले। लेखक ने काशी विश्वविद्यालय में नीति-शास्त्र पढ़ाया है और इस पुस्तक के माध्यम से अपने विचारों को साझा किया है। उन्होंने बताया है कि मनुष्य के कर्तव्यों को समझना और उन पर विचार करना आवश्यक है। पुस्तक में मनुष्य की क्रियाओं के पीछे के मनोवैज्ञानिक कारणों और नैतिकता के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि मनुष्य की इच्छाएँ, प्रेम, और द्वेष किस प्रकार से नैतिकता को प्रभावित करते हैं। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि आधुनिक मनोविज्ञान ने नैतिकता के प्रति एक नई दृष्टि प्रस्तुत की है, और यह आवश्यक है कि हम नैतिकता के प्रति उदासीन न हों। इस प्रकार, यह पाठ नीति-शास्त्र, कर्तव्य और नैतिकता के विचारों पर केंद्रित है, जिसमें भारतीय और पश्चिमी विचारों का एक समन्वय प्रस्तुत किया गया है।
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