आमने सामने | Aamne Samne
- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy नाटक/ Drama सामाजिक कौशल/social skills
- लेखक: मालीराम शर्मा - Maliram Sharma
- पृष्ठ : 142
- साइज: 2 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में संवाद और बातचीत के महत्व पर जोर दिया गया है। लेखक का मानना है कि आमने-सामने बातचीत करना अधिक प्रभावी होता है, चाहे वह किसी भी प्रकार की बातचीत हो। वकीलों या मध्यस्थों के माध्यम से बातचीत करने की तुलना में व्यक्तिगत बातचीत में अधिक स्पष्टता और समझ होती है। लेखक ने उदाहरण के तौर पर विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों से संवाद की बात की है, जैसे पान बेचने वाले या ऊंट चराने वाले, जो दिखाते हैं कि संवाद का स्थान और तरीका महत्त्वपूर्ण है। इसके अलावा, लेखक ने इस बात का भी उल्लेख किया कि कभी-कभी लोग सुनने में असमर्थ होते हैं क्योंकि वे अपनी मान्यताओं में जकड़े होते हैं। पाठ में यह भी बताया गया है कि बात करने से पहले विचार करना चाहिए कि क्या बातचीत के लिए उचित समय और स्थान है। लेखक ने यह भी कहा कि संवाद के दौरान सही बातें और विचार व्यक्त करना आवश्यक है, और संवाद में भाग लेने वाले सभी को अपनी बातें खुलकर रखने का अधिकार है। लेखक ने बातचीत की प्रक्रिया को एक कला के रूप में प्रस्तुत किया है, जहां विचारों का आदान-प्रदान होता है और एक-दूसरे की सोच को समझने का प्रयास किया जाता है। अंत में, पाठ में यह विचार भी पेश किया गया है कि संवाद का सही तरीका ही समाज में बेहतर समझ और संबंध विकसित कर सकता है।
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