भक्तराज हनुमान | Bhaktraj Hanuman

By: हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar


दो शब्द :

इस पाठ में भक्तराज हनुमान की पवित्रता और उनके अद्भुत गुणों का वर्णन किया गया है। हनुमान जी का जन्म भगवान शिव के अंश के रूप में हुआ था, और उनका जीवन भक्तिमार्ग पर आधारित है। पाठ में बताया गया है कि कैसे उनकी माता अञ्जना और पिता केसरी ने उनका पालन-पोषण किया। एक दिन, जब हनुमान जी छोटे थे, वे भूख के मारे घर में अकेले थे और उन्होंने सूर्यमंडल की ओर उड़ने का प्रयास किया। इस दौरान, देवताओं ने उनकी महत्ता को पहचाना और उनकी रक्षा के लिए आगे आए। इन्द्र ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया और उनका नाम 'हनुमान' रखा, जिसका अर्थ है 'हनु (गाल) का टूटना'। पाठ में यह भी दर्शाया गया है कि हनुमान जी ने भगवान राम की अत्यधिक भक्ति की, और वे उनके सेवक बने। उनके चरित्र में साधारणता के साथ-साथ महानता भी है, क्योंकि वे हमेशा अपने प्रभु की सेवा में तत्पर रहते हैं। इस प्रकार, पाठ भक्तराज हनुमान के जीवन की एक झलक प्रस्तुत करता है, जिसमें उनके जन्म, पालन-पोषण, और भगवान राम के प्रति उनकी असीम भक्ति को प्रमुखता से दर्शाया गया है। हनुमान जी का जीवन प्रेरणा देने वाला है और उनके गुण हमारे जीवन में अनुकरणीय हैं।


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