अध्यात्म गनेस्वरी | Adhyatma Ganeswari

By: गोपाल रघुनाथ रानाडे - Gopal Raghunath Ranadey


दो शब्द :

इस पाठ में "ज्ञानेश्वरी" का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है, जो मूलतः भारतीय तत्वज्ञान का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह ग्रंथ विशेष रूप से गीता के विचारों को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। लेखक ने अपने दादाजी के प्रति आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने उन्हें इस काम के लिए प्रेरित किया। पुस्तक की प्रस्तावना में बताया गया है कि ज्ञानेश्वरी गीता का एक अद्वितीय अनुवाद है, जो ज्ञानेश्वर के विचारों और ओवी का सौंदर्य प्रस्तुत करता है। इस ग्रंथ में गीता के विभिन्न अध्यायों का गहन अध्ययन और उनका तात्त्विक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि गीता के पहले दो अध्याय केवल प्रस्तावना हैं, जबकि मुख्य विचार कर्म, ज्ञान, और भक्ति योग के माध्यम से प्रस्तुत किए गए हैं। अर्जुन और कृष्ण के संवादों के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे कर्म का महत्व और ज्ञान का मार्ग, को समझाने का प्रयास किया गया है। अर्जुन की संदेह और प्रश्नों के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि कैसे ज्ञान और कर्म का संतुलन आवश्यक है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि ज्ञान और कर्म दोनों ही मार्ग एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। लेखक ने पाठकों को यह विश्वास दिलाने का प्रयास किया है कि इस ग्रंथ का अध्ययन करने से उन्हें गीता के गहन अर्थों को समझने में मदद मिलेगी और यह उनके जीवन में उपयोगी सिद्ध होगा।


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