बौद्ध दर्शन | Boddh Darshan
- श्रेणी: धार्मिक / Religious बौद्ध / Buddhism
- लेखक: राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
- पृष्ठ : 202
- साइज: 6 MB
- वर्ष: 1944
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: "वबीद्ध दर्णन" लेखक राहुल सांकृत्यायन के ग्रंथ "दर्शन-दिग्दर्णन" का एक हिस्सा है। इसमें बौद्ध दर्शन के विकास का विस्तार से वर्णन किया गया है। लेखक ने पहले संस्करण (1644) और दूसरे संस्करण (1648) के प्रकाशन के समय के बारे में बताया है और पाठकों से बौद्ध धर्म और दर्शन को समझने के लिए प्राचीन दार्शनिकों का ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। लेखक ने बौद्ध दर्शन के मूल सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें ईश्वर के अस्तित्व को नकारना, आत्मा को नित्य न मानना, और किसी ग्रंथ को स्वतः प्रमाण नहीं मानना शामिल है। उन्होंने बौद्ध धर्म के चार सर्वमान्य सिद्धांतों का उल्लेख किया है। पहले सिद्धांत में, लेखक ईश्वर के सिद्धांत का विरोध करते हैं और तर्क करते हैं कि अगर हर कार्य का कारण होता है, तो सृष्टि का कारण क्या है। दूसरे सिद्धांत में, वे आत्मा को नित्य नहीं मानते और इसे क्षणिक परिवर्तनशीलता के रूप में प्रस्तुत करते हैं। लेखक का कहना है कि मनुष्य अपनी कर्ता-व्यवहार की स्वतंत्रता के साथ अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार है। पाठ में बौद्ध दर्शन के विभिन्न पहलुओं, जैसे दुख, पुनर्जन्म, और निर्वाण पर चर्चा की गई है। साथ ही, विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का भी उल्लेख किया गया है, जो बौद्ध दर्शन से भिन्न हैं। इस प्रकार, पाठ बौद्ध दर्शन के गहरे ज्ञान और इसके विकास को समझने में पाठकों की मदद करता है।
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