प्राचीन भारत का इतिहास | Ancient History of India
- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति इतिहास / History भारत / India
- लेखक: ओमप्रकाश - Om Prakash
- पृष्ठ : 439
- साइज: 19 MB
- वर्ष: 1971
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दो शब्द :
प्राचीन भारत के इतिहास में, विशेषकर मौर्य काल से पूर्व की राजनीतिक स्थिति की चर्चा महत्वपूर्ण है। भारतीय इतिहास की इस अवधि में, सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर तीन सौ पच्चीस ईसा पूर्व तक की राजनीतिक संरचना को समझने के लिए बौद्ध और जैन ग्रंथों का सहारा लिया जाता है। इनमें सोलह महाजनपदों का उल्लेख मिलता है, जो उस युग में प्रमुख राजनीतिक इकाइयाँ थीं। इन महाजनपदों में मगध, वज्जि, कोसल, वत्स, अवन्ति, और अन्य जनपद शामिल थे। मगध, जो आज के बिहार में स्थित था, सबसे शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा। यहाँ के राजाओं ने सामरिक और राजनीतिक दृष्टि से सही निर्णय लिए, जैसे वैवाहिक संबंधों के माध्यम से शक्ति बढ़ाना और साम्राज्य का विस्तार करना। बिम्बिसार और उसके पुत्र अजातशत्रु जैसे महत्वपूर्ण राजाओं ने मगध को एक मजबूत साम्राज्य में परिवर्तित किया। बिम्बिसार ने कई रानियों से विवाह कर विभिन्न राज्यों के साथ संबंध स्थापित किए। उसने अपनी राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित की, जो व्यापार और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था। बौद्ध धर्म के प्रति उसकी रुचि भी देखी गई, और वह एक सच्चा अनुयायी था। अजातशत्रु ने अपने पिता की हत्या कर सिंहासन पर अधिकार किया और कोसल के राजा प्रसेनजित से युद्ध किया। इस युद्ध के दौरान, अजातशत्रु ने अपनी रणनीति के तहत कोसल के साथ संधि की और अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया। इस प्रकार, इन राजाओं की गतिविधियों ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस युग की राजनीतिक स्थिति में विभिन्न राज्यों के बीच युद्ध, संधि, और वैवाहिक संबंधों का खेल चलता रहा, जो भारतीय इतिहास की धारा को प्रभावित करता रहा।
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