प्रेमचंद की सर्व श्रेष्ठ कहानियाँ | Premchand Ki Sarvashreshta kahaniyan
- श्रेणी: उपन्यास / Upnyas-Novel साहित्य / Literature
- लेखक: प्रेमचंद - Premchand
- पृष्ठ : 237
- साइज: 11 MB
- वर्ष: 1933
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में लेखक मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कहानियों के संग्रह की भूमिका प्रस्तुत की है। वह बताते हैं कि लेखक हमेशा चाहता है कि उसकी सभी रचनाएं उत्कृष्ट हों, लेकिन ऐसा हमेशा संभव नहीं होता। उन्होंने अपनी लगभग तीन सौ कहानियों का संग्रह किया है, जिसे पाठकों के लिए एक नमूना के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनका उद्देश्य है कि पाठक उनकी रचनाओं के मूल्य को समझ सकें और उनके विचारों से परिचित हो सकें। लेखक ने यह भी कहा है कि कहानी जीवन का एक अभिन्न अंग है और हर व्यक्ति के बचपन में कहानियों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। उन्होंने इतिहास में प्राचीन कथा-साहित्य की चर्चा की और बताया कि मानव हृदय हमेशा अनोखी घटनाओं के प्रति आकर्षित होता है। इसके अलावा, उन्होंने आधुनिक साहित्य की अपेक्षाओं और पाठकों की रुचियों में आए बदलावों पर भी विचार किया। प्रेमचंद ने कहा कि आज के पाठक यथार्थता की तलाश में रहते हैं और वे साहित्य में केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि उस से जुड़ी गहरी भावनाओं और विचारों की भी अपेक्षा करते हैं। उन्होंने कहानी के माध्यम से मानव मन के जटिल भावनाओं को व्यक्त करने के महत्व पर जोर दिया। लेखक ने यह बताया कि कैसे कहानियाँ न केवल मनोरंजन करती हैं बल्कि समाज में सत्य, निस्वार्थ सेवा और न्याय जैसे मूल्यों को भी जागृत करती हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य में कहानी के बढ़ते महत्व और उसके प्रति पाठकों की बढ़ती रुचि की चर्चा की, यह बताते हुए कि कैसे कहानियों ने लोगों को एक-दूसरे के निकट लाने का काम किया है। आखिर में, प्रेमचंद ने इस बात पर जोर दिया कि कहानियाँ न केवल पाठकों को आनंदित करती हैं, बल्कि उन्हें एक-दूसरे के अनुभवों और भावनाओं से जोड़ती हैं, जिससे वे विश्व के विभिन्न हिस्सों के लोगों के साथ आत्मीय संबंध महसूस कर सकते हैं।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.