ज़हर- इ-इश्क़ (उर्दू) | Zehr- E-Ishq (Urdu)
- श्रेणी: उर्दू / Urdu भाषा / Language साहित्य / Literature
- लेखक: कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi
- पृष्ठ : 110
- साइज: 3 MB
- वर्ष: 2002
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: 'जहर-ए-इश्क़' एक प्रसिद्ध मस्नवी है जिसे नवाब मिर्जा शौक़ लखनवी ने लिखा है। यह प्रेम और विछोह के विषय पर आधारित है, जिसमें प्रेम की गहराई और दुखदाई अनुभवों का वर्णन किया गया है। यह रचना प्रेम में असफलता, अधूरे सपनों और प्रियतम के साथ मिलन की उत्कंठा को दर्शाती है। शौक़ की यह रचना उनकी व्यक्तिगत प्रेम कथा का भी प्रतीक मानी जाती है। इस मस्नवी में नायक और नायिका के बीच के संवाद और सामाजिक संदर्भों को बड़े कौशल से प्रस्तुत किया गया है। शौक़ ने लखनऊ के उस समय के जीवन और संस्कृति को भी उजागर किया है, जिसमें मुर्गों की लड़ाई जैसी कुरूचियों का चित्रण किया गया है। यह मस्नवी न केवल प्रेम की कथा है, बल्कि उस युग की सामाजिक विडम्बनाओं का भी प्रतिबिंब है। कैफ़ी आजमी ने इस मस्नवी को नाट्य रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक इसे एक नए रंगमंचीय दृष्टिकोण से अनुभव कर सकेंगे। इस ड्रामाई रूपांतरण में संवादों और दृश्य विधानों का समावेश किया गया है, जिससे यह रचना और भी जीवंत हो जाती है। सारांश में, 'जहर-ए-इश्क़' एक गहन प्रेम कथा है जो प्रेम की पीड़ा और सामाजिक जटिलताओं को दर्शाती है, और इसके नाट्य रूपांतरण ने इसे और भी अधिक प्रासंगिक बना दिया है।
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