९२० हिंदी साहित्य का आदिकाल (१९५२) | 920 Hindi Sahitya Ka Adikaal (1952)
- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति साहित्य / Literature
- लेखक: हजारी प्रसाद द्विवेदी - Hazari Prasad Dwivedi
- पृष्ठ : 144
- साइज: 7 MB
- वर्ष: 1952
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दो शब्द :
यह पाठ 'हिन्दी-साहित्य का आदिकाल' नामक पुस्तक के विभिन्न संस्करणों और उनके प्रकाशन के संदर्भ में है। यह पुस्तक बिहार-राष्ट्रभाषा-परिषद् द्वारा प्रकाशित की गई है और इसमें हिन्दी साहित्य के प्रारंभिक काल पर चर्चा की गई है। लेखक आचार्य डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी हैं, जो इस विषय में विद्वान माने जाते हैं। पुस्तक के पहले और दूसरे संस्करणों का प्रकाशन विभिन्न कारणों से विलंबित रहा, लेकिन पाठकों की मांग को देखते हुए तीसरे संस्करण का प्रकाशन जल्द ही किया गया। लेखक ने पाठकों की समीक्षाओं और सुझावों के आधार पर दूसरे संस्करण में कुछ परिवर्तनों को शामिल किया है, जिससे पुस्तक में नई सामग्री और दृष्टिकोण जोड़े गए हैं। इस पुस्तक को हिन्दी साहित्य के आदिकाल के अध्ययन में महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इसमें इस युग की जटिलताओं और विरोधाभासों का विश्लेषण किया गया है। लेखक ने इस काल में संस्कृत और अपभ्रंश दोनों के कवियों के योगदान की चर्चा की है, और यह बताया है कि यह समय विचारों के मंथन का काल था। संक्षेप में, यह पुस्तक हिन्दी साहित्य के प्रारंभिक काल की गहराई में जाकर उसके विकास और महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करने का प्रयास करती है, और इसके विभिन्न संस्करणों के माध्यम से लेखक ने इसे और भी सशक्त बनाने का प्रयास किया है।
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