निदान-चिकित्सा | Nidan-chikitsa

By: शिवचरण ध्यानी - Shivcharan Dhyani


दो शब्द :

यह पाठ "आयुर्वेदीय संक्षिप्त निदान चिकित्सा" नामक पुस्तक के संदर्भ में है, जिसे श्री ध्यानी जी ने लिखा है। पुस्तक का उद्देश्य आयुर्वेद के सिद्धांतों को सरल हिंदी भाषा में प्रस्तुत करना है ताकि छात्रों और जनसाधारण को चिकित्सा और रोगों के निदान में सहूलत हो। लेखक ने रोगों के निदान और चिकित्सा के लिए आवश्यक क्रिया-सूत्रों को स्पष्ट और वैज्ञानिक तरीके से समझाने का प्रयास किया है। पुस्तक में आयुर्वेद की मूल बातें जैसे दोष, धातु और मल की सम्यावस्था, विकृति, और रोगों की उत्पत्ति के सिद्धांतों को वर्णित किया गया है। इसमें बताया गया है कि दोषों का विषमावस्था में होना रोगों का कारण बनता है, और इसके लिए दोषों की वृद्धि या क्षय की प्रक्रिया को समझाना आवश्यक है। पुस्तक को विभिन्न आयुर्वेदिक संस्थानों के प्रमुखों और चिकित्सकों द्वारा सराहा गया है। यह न केवल छात्रों के लिए, बल्कि सामान्य जनता के लिए भी उपयोगी मानी गई है। इसके साथ ही, लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से आयुर्वेद की सही समझ और चिकित्सा के ज्ञान को लोगों तक पहुँचाने का प्रयास किया है। इस कार्य में लेखक की लेखन शैली सरल और स्पष्ट है, जिससे पाठक आसानी से जानकारी ग्रहण कर सकते हैं। पुस्तक का यह संक्षिप्त लेकिन विशद विवरण छात्रों को आयुर्वेद की शिक्षा में लाभकारी सिद्ध होगा।


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