सामाजिक समस्याएं | Samajik Samsyayen

By: राम आहूजा - Ram Ahuja


दो शब्द :

पुस्तक का प्राक्कथन सामाजिक समस्याओं के विकास और उनकी गंभीरता पर प्रकाश डालता है। लेखक राम आहूजा ने इस पुस्तक में भारत में मौजूद विभिन्न सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण करने का प्रयास किया है। उन्होंने उल्लेख किया है कि पिछले चालीस वर्षों में भारत में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, लेकिन कई समस्याएं जैसे जातिवाद, हिंसा, बेरोजगारी, और महिला उत्पीड़न अभी भी जारी हैं। इन समस्याओं का समाधान खोजने के लिए सामाजिक वैज्ञानिकों को एक सैद्धांतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। लेखक का मानना है कि सामाजिक समस्याएं केवल व्यक्तिगत नहीं हैं, बल्कि ये पूरे समाज को प्रभावित करती हैं। उन्होंने सामाजिक समस्याओं की परिभाषा दी है, जिसमें कहा गया है कि ये ऐसी स्थितियाँ हैं जो समाज के आदर्शों से विचलित हैं और जिनका समाधान सामूहिक प्रयास से किया जा सकता है। पुस्तक में विभिन्न अध्यायों के माध्यम से निर्धनता, बेरोजगारी, जनसंख्या विस्फोट, साम्प्रदायिकता, युवा असंतोष, बाल श्रम, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, नगरीकरण, और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की गई है। इसके अलावा, लेखक ने इस पुस्तक के निर्माण में सहयोग देने वाले सभी विद्वानों और मित्रों का आभार व्यक्त किया है। यह पुस्तक उन सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ प्रदान करती है, जिनका सामना आज का समाज कर रहा है।


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