एक इंच मुस्कान | Ek Inch Muskan
- श्रेणी: साहित्य / Literature
- लेखक: मन्नू भण्डारी - MANNU BHANDARI राजेन्द्र यादव - Rajendra Yadav
- पृष्ठ : 317
- साइज: 25 MB
- वर्ष: 1963
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दो शब्द :
पाठ "एक इंच मुस्कान" में मुख्य पात्र अमर की मनोदशा और उसके अनुभवों का वर्णन किया गया है। अमर एक होटल में ठहरा हुआ है और खिड़की से बाहर देखता है। वह अंधकार और प्रकाश के बीच एक अद्भुत अनुभव कर रहा है, जिसमें उसे समुद्र की लहरों और उसके निमंत्रण का आभास होता है। वह सागर को एक विशालता और गहराई का प्रतीक मानता है, जो उसे अपनी ओर खींचता है। अमर की सोच में समुद्र के किनारे पर खड़ी रंजना और अर्मला भी हैं, जिनके साथ वह अपनी भावनाओं और विचारों को साझा करता है। उनके बीच समुद्री सौंदर्य, लहरों का आतंक और आकर्षण को लेकर चर्चा होती है। रंजना की बातें अमर को याद आती हैं, और वह यह सोचता है कि सागर की लहरें उसे बुला रही हैं और उसकी चेतना को छू रही हैं। कहानी में अमर के भीतर की जिज्ञासा, उसकी स्मृतियाँ और रंजना के प्रति उसके भावनात्मक संबंध का चित्रण है। अमर को यह भी महसूस होता है कि सागर के अनुभव उसके अन्य अनुभवों से जुड़ते हैं, और वह अपने अतीत को एक अलग नजरिए से देखता है। अंततः, यह पाठ न केवल अमर के व्यक्तिगत अनुभवों को दर्शाता है, बल्कि यह सागर और लहरों के माध्यम से जीवन, प्रेम और आत्मा की गहराइयों को भी छूता है। अमर की सोच में प्रेम की जटिलताएँ, उसके व्यक्तिगत संघर्ष और उसके भीतर की शांति की तलाश का भी संकेत है।
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