बाबुल की महक | Babul Ki Mahak
- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति साहित्य / Literature
- लेखक: मस्तराम कपूर - Mastram Kapoor
- पृष्ठ : 114
- साइज: 1 MB
- वर्ष: 1985
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दो शब्द :
इस पाठ में राजस्थान के शिक्षकों की साहित्यिक और रचनात्मक संभावनाओं का वर्णन किया गया है। शिक्षकों ने पिछले बीस वर्षों में साहित्यिक लेखन के माध्यम से अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया है। राजस्थान के शिक्षा विभाग ने सन् 1667 से शिक्षकों की रचनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रकाशन कार्यक्रम शुरू किया, जिसके तहत कई कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं। इन कृतियों में विभिन्न विधाओं जैसे कहानी, कविता और निबंध शामिल हैं, और इनकी प्रशंसा भी हुई है। प्रस्तावना में यह बताया गया है कि शिक्षा और साहित्य में कोई विरोधाभास नहीं होना चाहिए, लेकिन वर्तमान शिक्षा प्रणाली महात्मा गांधी के आदर्शों से दूर है। शिक्षकों और माताओं से अच्छे बाल साहित्य की रचना की अपेक्षा की जाती है। राजस्थान के शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की सृजनात्मकता को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं, जिससे वे अपनी रचनाओं को प्रस्तुत कर सकें। पाठ में डॉ. मस्तराम कपूर की रचनाओं और उनके योगदान का भी उल्लेख है, जो बाल साहित्य और अन्य क्षेत्रों में सक्रिय हैं। उन्होंने कई उपन्यास, कहानी संग्रह और नाटक लिखे हैं। कुल मिलाकर, यह पाठ राजस्थान में शिक्षकों की साहित्यिक गतिविधियों, उनके योगदान और शिक्षा के क्षेत्र में साहित्य की भूमिका पर केंद्रित है।
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