भारतीय इतिहास-लेखन की भूमिका | Bhartiya Itihas -Lekhan Ki Bhoomika

By: ए. के. वार्डर - A. K. Warder
भारतीय इतिहास-लेखन की भूमिका | Bhartiya Itihas -Lekhan Ki Bhoomika by


दो शब्द :

इस पाठ में भारतीय इतिहास-लेखन की भूमिका का विवेचन किया गया है। लेखक ए. के. वार्डर, जो कि टोरेण्टो विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्रोफेसर हैं, ने भारतीय इतिहास के लेखन के विभिन्न दृष्टिकोणों को प्रस्तुत किया है। पुस्तक का उद्देश्य भारतीय इतिहास की रूपरेखा प्रदान करना और भारतीय दृष्टिकोण को उजागर करना है, जो कि पाश्चात्य दृष्टिकोण के विपरीत है। लेखक ने भारतीय परंपरागत ऐतिहासिक रचनाओं के विशाल भंडार की व्याख्या की है और यह बताया है कि भारतीय इतिहास-लेखन के स्रोतों का सर्वेक्षण आवश्यक है। उन्होंने यह भी पुष्टि की है कि भारतीय इतिहास के अध्ययन में अनेक मौलिक ग्रंथ मौजूद हैं, जिनका विवेचन अभी तक पर्याप्त रूप से नहीं किया गया है। पुस्तक में भारतीय इतिहास के विभिन्न कालों की चर्चा की गई है। इसमें प्राचीन वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक की निरंतरता को दर्शाने का प्रयास किया गया है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि भारतीय इतिहास लेखन में एक निश्चित दृष्टिकोण का होना जरूरी है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं पर आधारित हो। अंत में, यह पुस्तक छात्रों और शोधार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन सकती है, क्योंकि यह भारतीय इतिहास और उसके लेखन की एक व्यापक समझ प्रदान करती है। पाठ में लेखक ने भारतीय इतिहास लेखन का महत्व, उसकी जटिलताएँ और भविष्य की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला है।


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