गो-दान | Go-Daan
- श्रेणी: साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: प्रेमचंद - Premchand
- पृष्ठ : 288
- साइज: 14 MB
- वर्ष: 1947
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दो शब्द :
इस पाठ में दो पात्र, होरी और धनिया, की बातचीत के माध्यम से ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों और किसान के संघर्ष को दर्शाया गया है। होरी एक किसान है जो अपने जीवन में बहुत सी मुसीबतों का सामना कर रहा है। वह अपने परिवार की भलाई के लिए चिंतित है, खासकर अपनी पत्नी और बच्चों के बारे में। धनिया, उसकी पत्नी, उसे समझाने की कोशिश करती है कि उसे जल्दी में क्यों नहीं रहना चाहिए और थोड़ा आराम करना चाहिए। होरी की मानसिकता यह है कि वह अपने गांव के जमींदार के खेतों पर काम करता है और उसके मन में हमेशा यह चिंता रहती है कि अगर उसकी फसल अच्छी नहीं हुई तो वह कैसे अपने परिवार का पेट भरेगा। धनिया ने अनुभव किया है कि चाहे वह कितनी भी मेहनत करे, लगान हमेशा दिक्कत में रहता है और उसे अपने पति की इस चिंता से गहरी चिंता होती है। धनिया के छह बच्चों में से केवल तीन ही जीवित हैं, और उसने अपने बच्चों की बीमारी का दुख भी सहा है। इस बीच, होरी की इच्छा है कि वह एक गाय खरीद सके, जिससे उसके परिवार को दूध मिल सके और उसकी स्थिति में सुधार हो सके। हालांकि, उसकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह गाय खरीदने की सोच भी नहीं सकता। पाठ में होरी की आशाओं और निराशाओं का चित्रण किया गया है, जब वह अपने गांव के ग्वाले भोला से गायों के बारे में बातचीत करता है। होरी की बातें उसकी गरीब स्थिति और उसके जीवन के प्रति उसकी निराशा को दर्शाती हैं। वह अपने जीवन में बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन परिस्थितियाँ उसके खिलाफ हैं। अंततः, यह पाठ ग्रामीण जीवन की जटिलताओं, किसान की मेहनत और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को उजागर करता है। होरी और धनिया का संवाद उनकी मानसिक स्थिति, उनकी इच्छाओं और उनके सामाजिक स्थान को स्पष्ट करता है।
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