मुग़ल कालीन भारत (१५२६से १८०३ तक) | Mugal Kalin Bharat (1526 se 1803 tak )

By: आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव - Ashirbadi Lal Srivastava सर जदुनाथ सरकार - Sir Jadunath Sarakar


दो शब्द :

पुस्तक "मुगलकालीन भारत" मुगलकालीस के इतिहास का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जो 1526 से 1803 ई. तक फैला हुआ है। लेखक आशोर्यादीलाल श्रीवास्तव इस पुस्तक के माध्यम से मुगलों के शासनकाल की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अवस्थाओं का अध्ययन करते हैं। यह पुस्तक विशेष रूप से विद्यार्थियों और अध्यापकों के लिए तैयार की गई है और इसमें विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध मूल सामग्री के अध्ययन का समावेश है। मुगल काल को भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण युग माना जाता है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सहयोग की संभावना थी। हालांकि, यह काल प्रतिक्रियावादी शक्तियों और भारतीयकरण की प्रक्रिया के संघर्ष का भी दौर था। विशेषकर औरंगजेब के शासनकाल में, जब इस्लामी प्रभुत्व को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया गया, तब भारतीय समाज में विभाजन और कड़वाहट बढ़ गई। इस पुस्तक में बाबर से लेकर औरंगजेब तक के शासकों का विवरण है, जिसमें उनके जीवन, शासन, युद्ध, और प्रशासनिक नीतियों का उल्लेख किया गया है। लेखक ने मुगलों के साम्राज्य के उत्थान और पतन, शेरशाह सुर और अकबर के शासनकाल के सुधारों, तथा मराठा साम्राज्य की वृद्धि पर भी प्रकाश डाला है। पुस्तक में उस समय की सांस्कृतिक गतिविधियों, स्थापत्य, साहित्य, और कला का भी विवेचन किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मुगल काल ने भारतीय इतिहास में एक अद्वितीय स्थान बनाया। इस प्रकार, "मुगलकालीन भारत" न केवल एक ऐतिहासिक ग्रंथ है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और समाज के विकास की कहानी भी सुनाता है।


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