हिंदी भाषा का इतिहास | Hindi Bhasha Ka Itihas

By: धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma
हिंदी भाषा का इतिहास | Hindi Bhasha Ka Itihas by


दो शब्द :

यह पाठ हिंदी भाषा के इतिहास पर आधारित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ के प्रकाशन की प्रक्रिया और इसके विभिन्न संस्करणों के विकास का विवरण प्रस्तुत करता है। ग्रंथ का लेखन हिंदुस्तानी एकेडेमी द्वारा पंडित गंगानाथ जी को 1626 ईस्वी में दिया गया था, और 1133 ईस्वी में इसका पहला संस्करण प्रकाशित हुआ। इसके बाद, इस ग्रंथ का द्वितीय संस्करण भी प्रकाशित हुआ जिसमें नई सामग्री और चित्रों का समावेश किया गया। ग्रंथ के तीसरे संस्करण में कई सुधार किए गए हैं, जिनमें अपने मित्र डॉ. बाबू राम सकसेना का योगदान उल्लेखनीय है। ग्रंथ का प्रकाशन हिंदी भाषा के अध्ययन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना गया है। पाठ में यह भी बताया गया है कि आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का तुलनात्मक और ऐतिहासिक अध्ययन उन्नीसवीं सदी के अंत में शुरू हुआ। इस संदर्भ में विभिन्न विद्वानों के कार्यों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि जान बीम्स, केलाग, रामकृष्णु गोपाल भंडारकर और अन्य। इन विद्वानों के द्वारा हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के व्याकरण और अध्ययन पर महत्वपूर्ण ग्रंथ प्रकाशित किए गए हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। हिंदी भाषा के इतिहास और विकास पर किए गए इन प्रयासों को विस्तार से वर्णित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हिंदी भाषा का अध्ययन एक समृद्ध और विस्तृत क्षेत्र है, जिसमें निरंतर शोध और विकास की आवश्यकता है।


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