अर्धनारीश्वर | Ardhanarishwar

By: रामधारी सिंह 'दिनकर' - Ramdhari Singh Dinkar
अर्धनारीश्वर | Ardhanarishwar by


दो शब्द :

पाठ "अर्धनारीश्वर" में कवि रामधारी सिंह दिनकर ने जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया है, जिसमें युद्ध, शांति, मानवता, और आध्यात्मिकता का समावेश है। कवि ने खड़ग (तलवार) और वीणा (संगीत) के माध्यम से समाज में संघर्ष और सृजन के द्वंद्व को प्रस्तुत किया है। खड़ग युद्ध और हिंसा का प्रतीक है, जबकि वीणा शांति और सौंदर्य का। कवि ने विभिन्न परिस्थितियों का चित्रण किया है, जैसे भूकंप और युद्ध की स्थिति, जिनमें मानवता की स्थिति और उसके प्रति संवेदनाएँ व्यक्त की गई हैं। खड़ग का गर्व और वीणा की मौन सहमति इस बात का प्रतीक है कि युद्ध की विजय के पीछे शांति और संगीत का स्थान भी महत्वपूर्ण है। कवि मन्दिर और राजभवन की तुलना करते हुए बताता है कि मन्दिर उपासना का स्थल है, जहाँ मनुष्य अपने भीतर के सत्य को खोजता है, जबकि राजभवन शासन और नियंत्रण का प्रतीक है। यहाँ पर मानवता की वास्तविकता और उसके प्रति शासन की दृष्टि के बीच एक संघर्ष का संकेत मिलता है। सारांशतः, दिनकर ने "अर्धनारीश्वर" के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जीवन में युद्ध और शांति, संघर्ष और सृजन, दोनों का स्थान है। इनका संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, और यह मानवता के विकास के लिए जरूरी है कि हम आध्यात्मिकता और नैतिकता को समझें और अपनाएँ।


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