काशी का इतिहास | Kashi ka Itihas
- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति इतिहास / History
- लेखक: डॉ. मोतीचन्द्र - Dr. Moti Chandra
- पृष्ठ : 512
- साइज: 17 MB
- वर्ष: 1962
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दो शब्द :
इस पाठ में काशी (वाराणसी) के इतिहास का संक्षिप्त विवरण दिया गया है। लेखक डॉ. मोतीचंद्र ने काशी के इतिहास की गहरी खोजबीन की है और इसे केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भ में भी देखा है। काशी का इतिहास वैदिक काल से लेकर अवोचिच थुग तक के समय को शामिल करता है, जो इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाता है। लेखक ने बताया है कि काशी की भौगोलिक स्थिति और व्यापारिक महत्व के कारण यह नगर प्राचीन समय से धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहाँ के व्यापारी न केवल व्यापार करते थे, बल्कि धर्म और संस्कृति के प्रचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। वाराणसी का इतिहास अनेक धर्मों और संस्कृतियों का संगम है, जिसमें हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म शामिल हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से, काशी का स्वतंत्र अस्तित्व था, लेकिन समय के साथ यह कई साम्राज्यों के अधीन हो गया। मध्यकाल में काशी का राजनीतिक महत्व बढ़ा, लेकिन मुस्लिम आक्रमणों ने इसे प्रभावित किया। फिर भी, काशी ने अपने प्राचीन धार्मिक स्वरूप को बनाए रखा और पुनर्निर्माण का प्रयास किया। काशी न केवल धार्मिक तीर्थ स्थल था, बल्कि यह शिक्षा का भी एक प्रमुख केंद्र था। यहाँ वैदिक शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान रहा और समय के साथ संस्कृत भाषा का संरक्षण और प्रचार भी हुआ। व्यापार ने काशी की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना को भी प्रभावित किया है। लेखक ने काशी के इतिहास की सामग्री को सीमित मानते हुए भी, इसे भारतीय सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने उल्लेख किया है कि काशी की ऐतिहासिकता केवल तीर्थ और विद्या तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यापार, संस्कृति और धार्मिकता का भी गहरा संबंध है। संक्षेप में, काशी का इतिहास एक समृद्ध और विविधतापूर्ण परंपरा का प्रतीक है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक गतिविधियों का संगम है। यह नगर भारतीय सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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