संस्कृत साहित्य का समीक्षात्मक इतिहास | Sanskrit Sahitya Ka Samikshatmak Itihas

By: कपिल देव द्विवेदी - Kapil Dev dvivedi
संस्कृत साहित्य का समीक्षात्मक इतिहास | Sanskrit Sahitya Ka Samikshatmak Itihas by


दो शब्द :

यह पाठ "संस्कृत साहित्य का समीक्षात्मक इतिहास" नामक ग्रंथ का परिचय और उसकी विशेषताओं का वर्णन करता है। लेखक ने संस्कृत साहित्य के इतिहास को प्रस्तुत करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण कार्य माना है, क्योंकि इसके माध्यम से छात्रों और विद्वानों को एक व्यवस्थित और सम्यक दृष्टिकोण मिलता है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि भले ही इस विषय पर कई ग्रंथ उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें कुछ व्यावहारिक कमियाँ हैं। इसलिए उन्होंने इस ग्रंथ को लिखने का निर्णय लिया, जिसमें सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा गया है। इसमें छात्रों के लिए उपयोगिता को प्राथमिकता दी गई है और नवीनतम अनुसंधानों का समावेश किया गया है। ग्रंथ की विशेषताओं में यह उल्लेखित है कि यह इतिहास समीक्षात्मक दृष्टि से लिखा गया है, जिसमें विभिन्न विवादास्पद विषयों का प्रामाणिक और मौलिक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। इसमें भारतीय और पाश्चात्य विद्वानों के विचारों का खंडन भी किया गया है। अंत में, पाठ में ग्रंथ की विषय-सूची का उल्लेख किया गया है, जिसमें वेद, पुराण, महाकाव्य, नाटक, गद्य-काव्य, गीतिकाव्य, कथा-साहित्य आदि का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। इस प्रकार, यह पाठ संस्कृत साहित्य के समृद्ध इतिहास और उसके अध्ययन के महत्व को दर्शाता है।


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