अद्वैत वेदांत | Advaita Vedanta
- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy धार्मिक / Religious
- लेखक: राममूर्ति शर्मा - Dr. Rammurti Sharma
- पृष्ठ : 413
- साइज: 15 MB
- वर्ष: 1907
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दो शब्द :
यह पाठ "अद्वेत वेदान्त: इतिहास तथा सिद्धान्त" पर आधारित है और इसके लेखक डॉ. रामसूरी शर्मा हैं। इसमें अद्वेत वेदान्त के सिद्धांत का ऐतिहासिक और सैद्धांतिक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने इस ग्रंथ के द्वितीय संस्करण के प्रकाशन पर प्रसन्नता व्यक्त की है और पाठकों के प्रति आभार ज्ञापित किया है। लेखक ने उल्लेख किया है कि अद्वेत वेदान्त एक प्राचीन और महत्वपूर्ण भारतीय दर्शन है, जिसे आचार्य शंकर ने व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया। वेदान्त में एकता के दर्शन को समझाया गया है और यह बताया गया है कि सृष्टि की विविधता के पीछे एकता का सिद्धांत है। अद्वेत वेदान्त का अध्ययन न केवल भारतीय अपितु पश्चिमी दार्शनिकों को भी प्रभावित करता है। पुस्तक में विभिन्न अध्यायों के माध्यम से अद्वेत वेदान्त के सिद्धांतों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है, जिसमें न्याय, सांख्य, योग, तथा पूर्वमीमांसा जैसे अन्य दर्शन की तुलना भी की गई है। लेखक ने यह भी बताया है कि अद्वेत वेदान्त का ऐतिहासिक अध्ययन अभी पूरी तरह से नहीं हो पाया है, और इसके लिए और प्रयास करने की आवश्यकता है। लेखक ने अपने शोधकार्य में अद्वेत वेदान्त के विभिन्न पहलुओं का समावेश करने का प्रयास किया है और यह आशा व्यक्त की है कि पाठक इस ग्रंथ का स्वागत करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने अद्वेत वेदान्त की विशेषताओं और इसके महत्व को भी स्पष्ट किया है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि यह दर्शन मानव जीवन की चरम उपलब्धि को ध्यान में रखता है। इस प्रकार, यह ग्रंथ अद्वेत वेदान्त के सिद्धांतों का एक समग्र और ऐतिहासिक विवेचन प्रस्तुत करता है, जिसमें भारतीय और विदेशी दर्शन के सिद्धांतों के साथ तुलना की गई है।
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