आत्म साक्षात्कार का विज्ञानं | Atma Sakshatkar Ka Vigyan

By: ए० सी० भक्तिवेदांत - A. C. Bhaktivedant


दो शब्द :

इस पाठ में आत्म-साक्षात्कार के विज्ञान पर चर्चा की गई है, जो भक्ति और ध्यान के माध्यम से आत्मा की वास्तविकता को समझने का प्रयास करता है। लेखक, कृष्णकृपाश्रीमूर्ति श्रीमद् भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद, अपने गुरु और वैदिक ज्ञान के प्रचारक के रूप में प्रस्तुत होते हैं। वे बताते हैं कि भौतिक शरीर से परे आत्मा की पहचान करना और श्रीकृष्ण की भक्ति में लिप्त होना ही मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए एक गुरु का चयन आवश्यक है, और गुरु के माध्यम से ही सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों की चर्चा की गई है, जिसमें कृष्ण और क्राइस्ट का तुलनात्मक अध्ययन शामिल है। पाठ में बताया गया है कि भक्ति और प्रेम के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति संभव है, और यह आधुनिक युग में भी प्रासंगिक है। आध्यात्मिकता के सिद्धांतों को व्यावहारिक जीवन में लागू करने के लिए पाठ में कई उपाय और सुझाव दिए गए हैं। सामाजिक दोषों और समस्याओं का समाधान भी भक्ति के माध्यम से संभव बताया गया है। स्वामी प्रभुपाद के कार्यों की महत्ता को रेखांकित करते हुए, उनके द्वारा स्थापित विभिन्न धार्मिक संस्थाओं और ग्रंथों का भी उल्लेख किया गया है, जो वैदिक संस्कृति के प्रसार में सहायक हैं। इस प्रकार, पाठ आत्म-ज्ञान की खोज, भक्ति के महत्व, और गुरु-शिष्य परंपरा के संदर्भ में एक गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।


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