शालिहोत्र बड़ा अर्थात अश्वसंहिता | Shalihotra bada Arthat Ashvasanhita

By: अज्ञात - Unknown
शालिहोत्र बड़ा अर्थात अश्वसंहिता | Shalihotra bada Arthat Ashvasanhita by


दो शब्द :

इस पाठ में एक जोगन का वर्णन किया गया है जो अपने गाने की कला के लिए प्रसिद्ध है। जोगन अपने संगीत और भजन के लिए साहूकारों और रईसों के बीच बहुत सम्मान पाती है। एक दिन, जब वह एक बाग में गाने के लिए बैठती है, वहाँ बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। जोगन अपने सितार को लेकर गाने लगती है और उसकी गज़ल सुनकर सभी लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। जोगन के गाने में प्रेम और तड़प का भाव है, जो श्रोताओं के दिलों को छू जाता है। उसकी कला की चर्चा शहर में फैल जाती है और बादशाह भी उसकी प्रतिभा के बारे में सुनकर उसे अपने दरबार में बुलाने का आदेश देते हैं। जब जोगन दरबार में गाती है, तो उसका गाना सुनकर लोग उसकी तारीफ करते हैं और उसे रोकने का प्रयास करते हैं कि वह और समय बिताए। जोगन की लोकप्रियता इतनी बढ़ जाती है कि वह वहाँ रहने का निर्णय लेती है और आम के वृक्षों के नीचे अपना आसन जमाती है। इस प्रकार, जोगन का संगीत और उसकी कला न केवल जनता में बल्कि शाही दरबार में भी एक विशेष स्थान प्राप्त करती है। पाठ में उसके गाने की शैली, प्रेम का भाव, और उसके प्रति लोगों का आकर्षण दर्शाया गया है।


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