प्रतिमा नाटकम् | Pratima Natakam

By: श्रीकृष्ण ओझा - Shree Krishna Ojha
प्रतिमा नाटकम् | Pratima Natakam by


दो शब्द :

इस पाठ में महाकवि भास के जीवन और रचनाओं का विवरण दिया गया है। भास का जन्म स्थान और काल के बारे में विभिन्न किम्बदंतियाँ प्रचलित हैं, जिनमें से कुछ का उल्लेख किया गया है। भास को कई विद्वान विभिन्न जातियों के साथ जोड़ते हैं, जैसे कि धोबी या ब्राह्मण। उनके जीवन और कृतियों से यह स्पष्ट होता है कि वे एक प्रभावशाली कवि थे और उनके नाटकों में देशभक्ति की भावना प्रगाढ़ थी। भास की रचनाओं में समाज के विभिन्न आयामों का चित्रण मिलता है। उनके नाटकों में मंत्री के चरित्र की निष्ठा और कर्तव्यपरायणता को दर्शाया गया है। भास का काल निर्धारण भी विद्वानों के बीच चर्चा का विषय है, और उन्हें लगभग चौथी या पाँचवीं शताब्दी पूर्व का माना जाता है। भास की कृतियों में नादशास्त्र के नियमों का पालन नहीं किया गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे भरत से पूर्व के नाटककार थे। भास का ज्ञान और रचनात्मकता उनके समय के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण है, और उनका काम भारतीय नाट्यकला पर गहरा प्रभाव डालता है। कुल मिलाकर, भास का जीवन और उनकी रचनाएँ भारतीय साहित्य की धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, और उनके नाटक आज भी अध्ययन और प्रदर्शन का विषय हैं।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *