दो शब्द :

इस पाठ में भोजपुरी लोक-गीतों का संग्रह और उनका महत्व प्रस्तुत किया गया है। डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय द्वारा संपादित इस पुस्तक में भोजपुरी ग्राम-गीतों की परंपरा, उनके प्रकार और गाने के ढंग पर विस्तार से चर्चा की गई है। लोक-साहित्य के अध्ययन की आवश्यकता और इसके संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों का उल्लेख किया गया है। भूमिका में बताया गया है कि भारतीय लोक-संस्कृति की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाओं का सक्रिय होना जरूरी है। इस दिशा में कुछ विद्वानों ने प्रयास किए हैं, जैसे कि लोकसाहित्य के अध्ययन के लिए समितियों का गठन करना। संक्षेप में, यह पुस्तक भोजपुरी लोक-गीतों के महत्व को उजागर करती है, जो न केवल ग्रामीण संस्कृति का हिस्सा हैं, बल्कि शहरी जीवन में भी उनकी गहराई से जड़ें हैं। यह संग्रह भोजपुरी लोक-गीतों के अध्ययन और उनके संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।


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