श्री हित हरिवंश गोस्वामी संप्रदाय और साहित्य | Shree Hit Harivansh Goswami Sampraday Aur Sahitya
- श्रेणी: ग्रन्थ / granth साहित्य / Literature हिंदू - Hinduism
- लेखक: ललिताचरण गोस्वामी - Lalitacharan Goswami
- पृष्ठ : 637
- साइज: 61 MB
- वर्ष: 1958
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दो शब्द :
इस पाठ में लेखक ललिताचरण गोस्वामी द्वारा लिखित ग्रंथ "श्री हित हरिवंश" का परिचय दिया गया है। ग्रंथ की भूमिका डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी ने लिखी है, जिसमें उन्होंने लेखक के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की है। पाठ में लेखक ने अपने सहयोगियों, गुरुओं और अन्य विद्वानों का भी आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने ग्रंथ के लेखन और संपादन में सहायता की। लेखक ने ग्रंथ की रचना प्रक्रिया के दौरान कई बार संशोधन और परिवर्धन किए हैं, जिससे यह ग्रंथ अधिक समृद्ध और विस्तृत हो गया है। ग्रंथ का उद्देश्य ब्रज-साहित्य के प्रेमियों को एक सटीक और समृद्ध सामग्री प्रदान करना है, जिसमें वेदों, आगमों, भक्तिरस और प्रेम की विभिन्न परंपराओं का उल्लेख किया गया है। इस ग्रंथ में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई है, जैसे कि श्री हरिवंश-चरित्र, भक्तिरस की परंपरा, प्रेम और भक्ति के सिद्धांत, राधा-कृष्ण का संबंध, और ब्रज की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें भारतीय संस्कृति और साहित्य के गहरे पहलुओं की भी व्याख्या की गई है। लेखक ने ग्रंथ के माध्यम से प्रेम, भक्ति, और आध्यात्मिकता के विभिन्न पक्षों को उजागर किया है, जिससे पाठक को एक नई दृष्टि प्राप्त होती है। इस प्रकार, यह ग्रंथ ब्रज-संस्कृति और भक्ति परंपरा के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ बनता है।
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