राम कथा | Ram Katha

By: गोपाल उपाध्याय - Gopal Upadhyay


दो शब्द :

इस पाठ में भगवान श्रीराम के चरित्र और राम-कथा के महत्व पर चर्चा की गई है। लेखक ने रामायण को भारतीय संस्कृति का आधार मानते हुए इसे भौतिक और सांस्कृतिक उत्थान का प्रतीक बताया है। राम-कथा को विभिन्न विद्वानों द्वारा अद्वितीय माना गया है और यह कहा गया है कि राम के गुणों के कारण रचनाकार उन्हें अपनी कृतियों में शामिल करते हैं। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि कुछ पश्चिमी विद्वानों ने राम-कथा को काल्पनिक सिद्ध करने का प्रयास किया है, जबकि राम का चरित्र ऐतिहासिक और शाश्वत सत्य है। रामायण की रचना को काव्य की पहली रचना और साहित्य का आरंभिक रूप बताया गया है, जिसमें मुनि वाल्मीकि का योगदान महत्वपूर्ण है। इस नाटक की रचना का उद्देश्य राम-कथा को नई पीढ़ी तक पहुँचाना और सामाजिक संदर्भों में उसकी प्र relevancy को उजागर करना है। लेखक ने यह कहा है कि राम की जीवनी न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और यह मानवता के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। अंत में, राम-कथा को सांस्कृतिक पहचान का स्रोत और जीवन में सकारात्मकता लाने वाला बताया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राम का चरित्र और उनकी कथा आज भी प्रासंगिक हैं।


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