यौवन, सौन्दर्य और प्रेम | Yauvan, Saundaryya Aur Prem

By: श्रीनाथ सिंह - Shri Nath Singh
यौवन, सौन्दर्य और प्रेम  | Yauvan, Saundaryya Aur Prem by


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक ठाकुर श्रीनायसिंह ने यौवन, सौंदर्य और प्रेम के बीच के संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके यौवन की स्वतंत्रता पर विचार किया है। लेखक का कहना है कि पुरुषों की आँखें हमेशा युवा और सुंदर महिलाओं की ओर रहती हैं, और वे प्रेम के लिए स्वतंत्रता की आवश्यकता का समर्थन करते हैं। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि भारतीय समाज में महिलाओं को प्रेम व्यक्त करने की स्वतंत्रता नहीं है, और यदि उनका पति उन्हें छोड़ देता है, तो वे किसी अन्य पुरुष से बात करने में भी संकोच करती हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया है कि जब पुरुष खुद असंयमित होते हैं, तो महिलाएं क्यों उन्हें प्यार करेंगी? यौवन का संबंध स्वाधीनता, स्वास्थ्य और सेवा के भाव से है। लेखक ने यह तर्क किया है कि एक स्वतंत्र महिला का यौवन तब ही खिलता है जब उसे अपनी इच्छाओं को पूरा करने का अवसर मिले। स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए व्यायाम और अन्य गतिविधियों में रुचि होना आवश्यक है। लेखक ने भारतीय समाज में महिलाओं के यौवन और प्रेम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा है कि यह समाज और राष्ट्र की उन्नति के लिए आवश्यक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि इस पुस्तक में विचारित मुद्दे किसी अपवित्र भावना से प्रेरित नहीं हैं, बल्कि यह पश्चिमी विद्वानों के विचारों पर आधारित हैं। पुस्तक में यौवन, सौंदर्य और प्रेम पर विचार करते हुए सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन के विभिन्न पहलुओं का विवेचन किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये तीनों तत्व जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।


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