मिलिंद- प्रश्न | Milind - Prashan

By: भिक्षु जगदीश काश्यप - Bhikshu Jagdish Kashyap
मिलिंद- प्रश्न  | Milind - Prashan by


दो शब्द :

"मिलिन्द प्रश्न" बौद्ध साहित्य में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे राजा मिलिन्द और भिक्षु नागसेन के बीच संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है। राजा मिलिन्द, जो ग्रीक राजाओं में से एक था, विद्या और तर्क में निपुण था। उसने बुद्ध धर्म की गहरी अध्ययन किया और नागसेन से शास्त्रार्थ किया। इस ग्रंथ में राजा के प्रश्नों और भिक्षु के उत्तरों के माध्यम से बुद्ध धर्म के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। राजा मिलिन्द का राज्य उत्तर भारत में था और उसका प्रभाव विस्तृत था। वह बौद्ध धर्म के प्रति अत्यंत आकर्षित हुआ और अंततः उसने अपने राज्य को छोड़कर ध्यान और साधना की राह अपनाई। ग्रंथ में राजा के प्रश्न और नागसेन के उत्तरों के माध्यम से बुद्ध की शिक्षाओं का गहन विवेचन किया गया है। इस ग्रंथ की प्रमाणिकता और महत्व को स्वीकार किया गया है, और इसे बौद्ध साहित्य में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। हालांकि, इसके लेखक के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है और यह संभवतः संस्कृत में लिखा गया था, जिसे बाद में पाली में अनुवादित किया गया। ग्रंथ में राजा मिलिन्द की आध्यात्मिक यात्रा का वर्णन है, जो अंततः उसे निर्वाण की ओर ले जाती है। राजा मिलिन्द के सिक्कों और ऐतिहासिक साक्ष्यों से यह भी सिद्ध होता है कि उसका बौद्ध धर्म पर गहरा प्रभाव था। इस प्रकार, "मिलिन्द प्रश्न" एक गहन दार्शनिक संवाद है, जो न केवल बुद्ध धर्म की गहरी समझ प्रदान करता है, बल्कि मानव जीवन के उद्देश्यों और साधनाओं पर भी विचार करता है।


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