आँसू (व्याख्यात्मक आलोचना) | Aansu ( Vyakyatamk Aalochna )
- श्रेणी: साहित्य / Literature
- लेखक: जयशंकर प्रसाद - jayshankar prasad विश्वनाथ - Vishvanath
- पृष्ठ : 41
- साइज: 6 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में बाबू जयशंकर प्रसाद की काव्य रचना "आंसू" का विश्लेषण किया गया है। इसे छायावाद युग के महत्वपूर्ण कवियों में से एक माना गया है, और "कामायनी" को इस युग का सर्वश्रेष्ठ काव्य घोषित किया गया है। "आंसू" का पहला संस्करण 1911 में प्रकाशित हुआ था, जबकि इसका दूसरा संस्करण 1913 में आया। इसे "भावना युग" और "चिन्तन युग" का प्रतिनिधि काव्य माना गया है। लेखक ने "आंसू" को प्रसाद की सिद्ध रचना बताया है, जिसमें उनके मनोभावों का गहरा प्रवाह है। इसमें प्रेम, वियोग और जीवन के विभिन्न पहलुओं का चित्रण किया गया है। यह काव्य प्रेम की प्रक्रिया को बारीकी से दर्शाता है, जहां रूप का मोह सही मायनों में वियोग के माध्यम से समझा जाता है। कविता में जीवन के अनुभवों, भावनाओं और प्रकृति का समन्वय किया गया है। "आंसू" में प्रेम की गहराई और मानव मन की जटिलताओं का चित्रण है, जो इसे एक सफल साहित्यिक रचना बनाता है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि "आंसू" को लेकर विभिन्न आलोचनाएँ हुई हैं, लेकिन इस पर विशेष रूप से कोई अलग से आलोचना ग्रंथ अभी तक नहीं लिखा गया है। कुल मिलाकर, "आंसू" बाबू जयशंकर प्रसाद की संवेदनशीलता और काव्य कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो जीवन के विभिन्न अनुभवों को एक अनोखे तरीके से प्रस्तुत करता है।
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