काई चिकित्सा | Kai chikitsa

By: श्री ताराशंकर वैध्य - Shree Taarashankar vaidh
काई चिकित्सा | Kai chikitsa by


दो शब्द :

इस पाठ में डाबर कंपनी के प्रकाशन की पृष्ठभूमि और आयुर्वेद की चिकित्सा प्रणाली के महत्व पर चर्चा की गई है। डाबर के संस्थापक डा. श्रीकृष्ण बर्म्मन ने भारतीय ज्ञान और विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए पत्रिकाओं और पुस्तकों के माध्यम से कार्य किया। विशेष रूप से, उन्होंने आयुर्वेद के उत्थान और जनसाधारण में इसके लाभ पहुंचाने हेतु कई उपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन किया। पाठ में यह भी बताया गया है कि भारत में चिकित्सकों की संख्या जनसंख्या के अनुपात में बहुत कम है, जिससे चिकित्सा सेवाओं की कमी महसूस होती है। यहां तक कि शहरों में भी चिकित्सा सेवा व्यवसाय बन गई है, जहाँ आर्थिक स्थिति के आधार पर ही उपचार मिलता है। इससे मध्यम वर्ग के लोग भी दबाव में हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए, पाठ का उद्देश्य यह है कि अधिक से अधिक लोग चिकित्सा ज्ञान प्राप्त कर सकें ताकि वे सामान्य बीमारियों का उपचार कर सकें। इसके लिए सरल और जन-भाषा में लिखी गई पुस्तकों की आवश्यकता है। "काय चिकित्सा" नामक पुस्तक इसी उद्देश्य के लिए लिखी गई है, ताकि इसे पढ़कर लोग चिकित्सा के बुनियादी ज्ञान को समझ सकें और पीड़ित मानवता की सहायता कर सकें। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि चिकित्सा के क्षेत्र में शास्त्रज्ञ चिकित्सकों के लिए समय की कमी होती है, इसलिए उन्हें ऐसे ज्ञान की आवश्यकता है जिसे वे जल्दी से उपयोग कर सकें। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद की औषधियों और उनके उपयोग को भी जनता के बीच लाने की आवश्यकता है, ताकि वे सस्ती और प्रभावी चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठा सकें। इस प्रकार, पाठ में डाबर के प्रकाशन के प्रयासों, आयुर्वेद के महत्व, और चिकित्सा ज्ञान के प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।


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