बनौषधि - चंद्रोदय (सातवां भाग ) | Banoshadhi Chandrodaya ( Vol. 7 )

By: चन्द्रराज भंडारी विशारद - Chandraraj Bhandari Visharad


दो शब्द :

"बनोषणि-चन्होदय" पाठ में लेखक चन्द्रराज भगण्डारी "विशारद" ने विभिन्न औषधियों और वनस्पतियों का उल्लेख किया है, जो भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में उपयोगी मानी जाती हैं। इसमें औषधीय पौधों के नाम, उनके उपयोग, और उनके गुणों का विस्तृत वर्णन किया गया है। लेखक ने भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद की समृद्ध परंपरा को ध्यान में रखते हुए इन पौधों की पहचान और उनकी औषधीय विशेषताओं को प्रस्तुत किया है। पाठ में विभिन्न प्रकार की औषधियों के बारे में जानकारी दी गई है, जैसे कि बदाम, बनलौग, चनमूँग, ब्रह्ममड्‌की, और अन्य कई वनस्पतियाँ। इन औषधियों का उपयोग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है। लेखक ने इन पौधों के गुणों और उनके उपयोग के तरीकों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी समझाने का प्रयास किया है। इसमें विशेष रूप से पौधों की पहचान, उनके औषधीय उपयोग, और उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव को समझाया गया है, जिससे पाठक भारतीय औषधीय ज्ञान के प्रति जागरूक हो सके। यह पाठ न केवल आयुर्वेद के महत्व को दर्शाता है, बल्कि भारतीय वनस्पतियों के संरक्षण और उनके उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास करता है।


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