कला और संस्कृति | Kala aur Sanskriti

- श्रेणी: Art and Architecture | कला और वास्तुकला Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति
- लेखक: श्री वासुदेवशरण अग्रवाल - Shri Vasudevsharan Agarwal
- पृष्ठ : 328
- साइज: 12 MB
- वर्ष: 1952
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दो शब्द :
इस पाठ में संस्कृति और कला के महत्व पर विचार किया गया है। लेखक ने संस्कृति को मानव जीवन के भूत, वर्तमान और भविष्य का समग्र प्रकट रूप बताया है। संस्कृति मानव जीवन की प्रेरक शक्ति है और यह अन्य लोगों के साथ संतुलित स्थिति स्थापित करने में मदद करती है। भारतीय संस्कृति की विशेषता यह है कि यह भौतिक और आध्यात्मिक जीवन दोनों का समन्वय करती है। लेख में यह भी कहा गया है कि संस्कृति का आदर्श स्थापित करना आवश्यक है, जिससे मानव जीवन को सुन्दर और संतुलित बनाया जा सके। भारतीय संस्कृति में विभिन्न क्षेत्रों जैसे दर्शन, साहित्य, कला, धर्म और विज्ञान का विकास हुआ है, जो पार्थिव जीवन को समझने और उसमें रस लेने की प्रेरणा देते हैं। कला को संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है। कला न केवल व्यक्तिगत विलास का साधन है, बल्कि यह लोक शिक्षण और आनंद का भी माध्यम है। भारतीय कला की परंपरा अत्यंत समृद्ध है और इसे विकसित करने की आवश्यकता है। अंत में, लेखक ने यह कहा है कि संस्कृति और कला का समन्वय ही मानव जीवन को अर्थपूर्ण और समृद्ध बना सकता है। हमें अपनी संस्कृति का सम्मान करते हुए, उसके जड़ तत्वों को अपनाना और नए रूपों का स्वागत करना चाहिए, ताकि हम आगे बढ़ सकें।
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