महापुरूषौं की जीवनगाथायें | Mahapurusho ki Jivangathayen

By: स्वामी विवेकानंद - Swami Vivekanand


दो शब्द :

इस पाठ में स्वामी विवेकानंद के विचारों का संकलन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका में महान आत्माओं और अवतारों की जीवनी और उपदेशों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। यह व्याख्यान भारतीय संस्कृति और शिक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। विवेकानंद ने महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेने की बात की है, जो न केवल व्यक्तिगत विकास में सहायक हैं, बल्कि समाज के लिए भी लाभकारी हैं। पुस्तक का अनुवाद प्राध्यापक श्री हरिवक्लम जोशी ने किया है, और इसमें महान काव्यों जैसे रामायण और महाभारत का भी उल्लेख है। विवेकानंद ने रामायण के रचनाकार महर्षि वाल्मीकि की कथा को साझा किया है, जिसमें एक दस्यु युवक की कहानी है जो अपने पाप के कर्मों से दुखी होकर साधना की ओर बढ़ता है। महर्षि नारद के उपदेशों से प्रभावित होकर, वह अपने पाप छोड़कर तपस्या और ध्यान में लीन हो जाता है, और अंततः महर्षि वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध होता है। इस पाठ का उद्देश्य पाठकों को महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा देना और उन्हें उनके आदर्शों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करना है। स्वामी विवेकानंद का यह संदेश है कि सच्चा प्रेम और आत्मा की उन्नति ही जीवन का असली उद्देश्य है।


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