कठोपनिषद | Kathopnishad
- श्रेणी: उपनिषद/ upnishad धार्मिक / Religious साहित्य / Literature हिंदू - Hinduism
- लेखक: अज्ञात - Unknown
- पृष्ठ : 180
- साइज: 89 MB
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश यह है कि नचिकेता, एक युवा साधक, यमराज के पास जाकर मृत्यु के रहस्यों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनसे वर मांगता है। पहले वह अग्नि के ज्ञान की मांग करता है, जिसे यमराज ने उसे दिया। फिर, वह दूसरे वर के रूप में दीर्घ जीवन की इच्छा करता है, जिसे यमराज भी प्रदान करते हैं। अंततः, नचिकेता तीसरे वर के रूप में आत्मा के अविनाशी स्वरूप के बारे में ज्ञान की मांग करता है। यमराज उसे बताते हैं कि संसार में दो प्रकार की चीजें होती हैं - श्रेय (उच्चतम) और प्रेय (प्रिय)। श्रेय ज्ञान और आत्मा के प्रति जागरूकता का प्रतीक है, जबकि प्रेय भौतिक सुख और क्षणिक आनंद का प्रतीक है। यमराज नचिकेता को यह समझाते हैं कि विवेकपूर्ण व्यक्ति हमेशा श्रेय को प्राथमिकता देता है, जबकि मूढ़ व्यक्ति प्रेय की ओर आकर्षित होता है। नचिकेता, अपनी बुद्धिमत्ता के कारण, प्रेय को त्यागकर श्रेय का चयन करता है, जो उसे सच्चे ज्ञान और अमरता की ओर ले जाता है। पाठ में यह संदेश भी है कि भौतिक वस्तुएँ और सुख अस्थायी हैं, जबकि आत्मा की खोज और ज्ञान स्थायी और मूल्यवान हैं। अंत में, नचिकेता को आत्मा के अविनाशी स्वरूप का गहन ज्ञान प्राप्त होता है, जो उसे मोक्ष की ओर ले जाता है।
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