श्री भक्तमाल | Shree Bhaktmaal
- श्रेणी: Hindu Scriptures | हिंदू धर्मग्रंथ भक्ति/ bhakti साहित्य / Literature
- लेखक: श्री सीताराम - Shri Sitaram
- पृष्ठ : 999
- साइज: 170 MB
- वर्ष: 1951
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दो शब्द :
इस पाठ में भक्ति और श्रद्धा की अभिव्यक्ति की गई है। लेखक ने अपने अनुभवों और शिक्षाओं का उल्लेख किया है, जिनसे उन्होंने श्रीभक्मालीजी के प्रति अपनी श्रद्धा को विकसित किया। पाठ में यह कहा गया है कि लेखक ने अपने पिता से, जो इस क्षेत्र में प्रसिद्ध थे, और अन्य साधुओं से भक्ति की शिक्षा ली। लेखक का यह अनुभव है कि भक्ति और साधना से उन्हें अपार आनंद और संतोष प्राप्त हुआ है। लेखक ने श्रीप्रेरित होकर भक्ति के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया और इस दौरान उन्हें विभिन्न महात्माओं से अनमोल शिक्षाएँ मिलीं। इस प्रकार, पाठ भक्ति, ज्ञान और गुरु की महिमा को उजागर करता है, जिसमें लेखक अपने गुरुजनों का ऋणी होने का भाव व्यक्त करते हैं। इसके अंत में, लेखक ने पाठकों को भी भक्ति के मार्ग पर चलने और गुरु की कृपा से जीवन में शांति और संतोष प्राप्त करने का संदेश दिया है।
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